01 | भगवान् के द्वारा पृथ्वी को आश्वासन, वसुदेव-देवकी का विवाह और कंस के द्वारा देवकी के छ: पुत्रों की हत्या
| 69
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02 | भगवान् का गर्भ-प्रवेश और देवताओं द्वारा गर्भ-स्तुति
| 42
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03 | भगवान् श्रीकृष्ण का प्राकट्य
| 53
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04 | कंस के हाथ से छूटकर योगमाया का आकाश में जाकर भविष्यवाणी करना
| 46
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05 | गोकुल में भगवान् का जन्म-महोत्सव
| 32
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06 | पूतना-उद्धार
| 44
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07 | शकट-भञ्जन और तृणावर्त-उद्धार
| 37
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08 | नामकरण-संस्कार और बाललीला
| 52
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09 | श्रीकृष्ण का ऊखल से बाँधा जाना
| 23
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10 | यमलार्जुन का उद्धार
| 43
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11 | गोकुल से वृन्दावन जाना तथा वत्सासुर और बकासुर का उद्धार
| 59
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12 | अघासुर का उद्धार
| 44
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13 | ब्रह्माजी का मोह और उसका नाश
| 64
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14 | ब्रह्माजी के द्वारा भगवान् की स्तुति
| 61
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15 | धेनुकासुर का उद्धार और ग्वालबालों को कालियनाग के विष से बचाना
| 52
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16 | कालिय पर कृपा
| 57
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17 | कालिय के कालियदह में आने की कथा तथा भगवान् का व्रजवासियों को दावानल से बचाना
| 25
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18 | प्रलम्बासुर-उद्धार
| 32
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19 | गौओं और गोपों को दावानल से बचाना
| 16
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20 | वर्षा और शरद् ऋतु का वर्णन
| 49
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21 | वेणुगीत
| 20
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22 | चीरहरण
| 38
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23 | यज्ञ-पत्नियों पर कृपा
| 52
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24 | इन्द्रयज्ञ-निवारण
| 38
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25 | गोवद्र्धन धारण
| 33
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26 | नन्दबाबा से गोपों की श्रीकृष्ण के प्रभाव के विषय में बातचीत
| 25
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27 | श्रीकृष्ण का अभिषेक
| 28
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28 | वरुणलोक से नन्दजी को छुड़ाकर लाना
| 17
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29 | रासलीला का आरम्भ
| 48
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30 | श्रीकृष्ण के विरह में गोपियों की दशा
| 45
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31 | गोपिकागीत
| 19
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32 | भगवान् का प्रकट होकर गोपियों को सान्त्वना देना
| 22
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33 | महारास
| 40
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34 | सुदर्शन और शङ्खचूड का उद्धार
| 32
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35 | युगलगीत
| 26
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36 | अरिष्टासुर का उद्धार और कंस का श्रीअक्रूरजी को व्रज में भेजना
| 40
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37 | केशी और व्योमासुर का उद्धार तथा नारदजी के द्वारा भगवान् की स्तुति
| 34
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38 | अक्रूरजी की व्रज-यात्रा
| 43
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39 | श्रीकृष्ण-बलराम का मथुरागमन
| 57
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40 | अक्रूरजी के द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण की स्तुति
| 30
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41 | श्रीकृष्ण का मथुराजी में प्रवेश
| 52
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42 | कुब्जा पर कृपा, धनुषभङ्ग और कंस की घबड़ाहट
| 38
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43 | कुवलयापीड़ का उद्धार और अखाड़े में प्रवेश
| 40
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44 | चाणूर, मुष्टिक आदि पहलवानों का तथा कंस का उद्धार
| 51
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45 | श्रीकृष्ण-बलराम का यज्ञोपवीत और गुरुकुलप्रवेश
| 50
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46 | उद्धवजी की व्रजयात्रा
| 49
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47 | उद्धव तथा गोपियों की बातचीत और भ्रमरगीत
| 69
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48 | भगवान् का कुब्जा और अक्रूरजी के घर जाना
| 36
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49 | अक्रूरजी का हस्तिनापुर जाना
| 31
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50 | जरासन्ध से युद्ध और द्वारकापुरी का निर्माण ५०
| 58
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51 | कालयवन का भस्म होना, मुचुकुन्द की कथा
| 58
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52 | द्वारका-गमन, श्रीबलरामजी का विवाह तथा श्रीकृष्ण के पास रुक्मिणीजी का सन्देशा लेकर ब्राह्मण का आना
| 44
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53 | रुक्मिणीहरण
| 57
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54 | शिशुपाल के साथी राजाओं की और रुक्मी की हार तथा श्रीकृष्ण-रुक्मिणी-विवाह
| 60
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55 | प्रद्युम्र का जन्म और शम्बरासुर का वध
| 40
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56 | स्यमन्तकमणि की कथा, जाम्बवती और सत्यभामा के साथ श्रीकृष्ण का विवाह
| 45
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57 | स्यमन्तक-हरण, शतधन्वा का उद्धार और अक्रूरजी को फिर से द्वार का बुलाना
| 42
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58 | भगवान् श्रीकृष्ण के अन्यान्य विवाहों की कथा
| 58
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59 | भौमासुर का उद्धार और सोलह हजार एक सौ राजकन्याओं के साथ भगवान् का विवाह
| 45
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60 | श्रीकृष्ण-रुक्मिणी-संवाद
| 59
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61 | भगवान् की सन्तति का वर्णन तथा अनिरुद्ध के विवाह में रुक्मी का मारा जाना
| 40
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62 | ऊषा-अनिरुद्ध-मिलन
| 35
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63 | भगवान् श्रीकृष्ण के साथ बाणासुर का युद्ध
| 53
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64 | नृग राजा की कथा
| 44
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65 | श्रीबलरामजी का व्रजगमन
| 32
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66 | पौण्ड्रक और काशिराज का उद्धार
| 43
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67 | द्विविद का उद्धार
| 28
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68 | कौरवों पर बलरामजी का कोप और साम्ब का विवाह
| 54
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69 | देवर्षि नारदजी का भगवान् की गृहचर्या देखना
| 45
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70 | भगवान् श्रीकृष्ण की नित्यचर्या और उनके पास जरासन्ध के कैदी राजाओं के दूत का आना
| 47
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71 | श्रीकृष्ण भगवान् का इन्द्रप्रस्थ पधारना
| 46
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72 | पाण्डवों के राजसूययज्ञ का आयोजन और जरासन्ध का उद्धार
| 48
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73 | जरासन्ध के जेल से छूटे हुए राजाओं की विदाई और भगवान् का इन्द्रप्रस्थ लौट आना
| 35
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74 | भगवान् की अग्रपूजा और शिशुपाल का उद्धार
| 54
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75 | राजसूय यज्ञ की पूर्ति और दुर्योधन का अपमान
| 40
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76 | शाल्व के साथ यादवों का युद्ध
| 33
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77 | शाल्व-उद्धार
| 37
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78 | दन्तवक्र और विदूरथ का उद्धार तथा तीर्थयात्रा में बलरामजी के हाथ से सूतजी का वध
| 40
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79 | बल्वल का उद्धार और बलरामजी की तीर्थयात्रा
| 34
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80 | श्रीकृष्ण के द्वारा सुदामाजी का स्वागत
| 45
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81 | सुदामाजी को ऐश्वर्य की प्राप्ति
| 41
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82 | भगवान् श्रीकृष्ण-बलराम से गोप-गोपियों की भेंट
| 49
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83 | भगवान् की पटरानियों के साथ द्रौपदी की बातचीत
| 43
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84 | वसुदेवजी का यज्ञोत्सव
| 71
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85 | श्रीभगवान् के द्वारा वसुदेवजी को ब्रह्मज्ञान का उपदेश तथा देवकी जी के छ: पुत्रों को लौटा लाना
| 59
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86 | सुभद्राहरण और भगवान् का मिथिलापुरी में राजा जनक और श्रुतदेव ब्राह्मण के घर एक ही साथ जाना
| 59
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87 | वेदस्तुति
| 28
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88 | शिवजी का सङ्कटमोचन
| 40
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89 | भृगुजी के द्वारा त्रिदेवों की परीक्षा तथा भगवान् का मरे हुए ब्राह्मण-बालकों को वापस लाना
| 66
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90 | भगवान् कृष्ण के लीला-विहार का वर्णन | 50
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